
जौनपुर। बम पटाखा हाथ में लेकर छुड़ाना एक युवक को काफी महंगा पड़ गया। उसके घर दीपावली की खुशी तब काफूर हो गयी जब बम के साथ उसकी हथेली भी उड़ गयी। मांस का चूर-चूर हुआ टुकड़ा दूर-दूर तक जा बिखरा, जिसे खोजने में घंटों लग गए। युवक को लेकर कई अस्पताल जाया गया लेकिन हर जगह से जवाब ही मिला। अंत में जब वहां के सारे चिकित्सक दे दिए जवाब तब डा0 लाल बहादुर सिद्धार्थ ही आए काम। बताया जाता है कि मछलीशहर कोतवाली क्षेत्र के भटहर गांव निवासी विकास चौहान उम्र लगभग 25 वर्ष पुत्र राजेन्द्र सोमवार को दीपावली के दिन रात आठ बजे पटाखा छुड़ा रहा था। एक बम पटाखा भी था जिसे दुकानदार के कहने पर वह हाथ में लेकर छुड़ा रहा था। जब वह तेज धमाके के साथ फटा तो उसके दाहिने हाथ का पंजा भी पटाखे के साथ उड़ गया। धमाका इतना जबर्दस्त था कि मांस के टुकड़े एवं हड्डियां दर्जनों भाग में चूर-चूर होकर दूर-दूर तक बिखर गयी। हाथ से खून की धार बहने लगी। घटना सुनकर परिजन तुरन्त मौके पर पहुंच गए। हाथ की दशा देखते ही उनके होश उड़ गए। सभी ने मिलकर खोजबीन कर मांस के टुकड़े और हड्डियों को एकत्र किया और पन्नी में भरकर स्थानीय निजी चिकित्सक के पास पहुंच गए। वहां से रिफर कर दिया गया। जिला मुख्यालय के कई प्राइवेट अस्पतालों में ले जाया गया पर कोई काम नहीं आया। बाद में शहर के वाजिदपुर तिराहा निकट मैहर देवी मंदिर स्थित सिद्धार्थ हॉस्पिटल के प्रख्यात सर्जन डा0 लाल बहादुर सिद्धार्थ को दिखाया गया। उस समय भी हाथ से रक्तस्राव हो रहा था। उन्होंने तुरंत मलहम पट्टी कर आवश्यक जांच के बाद भर्ती कर लिया। दूसरे दिन परिजन की सहमति पर ऑपरेशन कर दर्जनों टुकड़े को जोडक़र खोई हथेली को फिर वापस लाकर सभी को चौका दिया। हालंकि ऑपरेशन में तीन घंटे से अधिक का समय लगा फिर भी इसे ईश्वर का शुक्र कहे या डा0 सिद्धार्थ के हाथों का कमाल दूसरे दिन से ही उसके हालत में सुधार होने लगा। इस प्रकार त्वरित लाभ से परिजन खुश हो गए। वह खुले कंठ से उनकी चहुंओर प्रशंसा कर रहे हैं। इस बावत पूछे जाने पर डा0 सिद्धार्थ ने बताया कि अगर ऑपरेशन में लेट होता तो ब्लड ज्यादा बहने से स्थिति और खराब हो जाती उपर से घाव भी सडऩे लगता। तब हथेली ही काटनी पड़ती। समय से उपचार हो जाने पर अब उसकी हालत पूरी तरह खतरे से बाहर है। घाव तेजी से सूख रहा है, एक-दो दिन बाद अस्पताल से छुट्टी भी दे दी जाएगी। ऑपरेशन में डा0 लाल बहादुर सिद्धार्थ के अलावा डा0 राजेश त्रिपाठी, डा0 रवि सिंह, डा0 राजेन्द्र, डा0 विनोद यादव आदि का भी योगदान सराहनीय रहा।