
जौनपुर– महान विभूतियां कभी नहीं मरती। उनके आदर्श, उनकी कृतियां उनके न रहने पर भी समाज का मार्गदर्शन करती है। उक्त विचार उ.प्र. लोकसेवा आयोग के पूर्व सदस्य प्रो. आरएन त्रिपाठी ने साहित्य वाचस्पति डा. श्रीपाल सिंह क्षेम की 14वीं पुण्यतिथि पर विकलांग पुनर्वास केन्द्र लाइन बाजार में आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम में व्यक्त किया। उन्होंने कहाकि डा. धर्मवीर भारती, हरिबंश राय बच्चन, महादेवी वर्मा, प्रो. रामकुमार वर्मा ने डा. क्षेम को अपने वात्सल्य से पाला-पोषा था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जौनपुर पत्रकार संघ के अध्यक्ष शशिमोहन सिंह क्षेम ने अपने पिता स्व. डा. श्रीपाल सिंह क्षेम से संबंधित अनेक संस्मरण प्रस्तुत किया। उक्त अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन का शुभारंभ कवयित्री डा. विभा तिवारी ने-छेड़ तू वीणा के तार हंसवाहिनी वीणा वादिनी गूंजे मधुर झनकार। वाणी वंदना से किया। कवयित्री कालोज पाठक ने-बाबा तेरी लाडली बिन तेर ब्याही जायेगी। करूण रस से ओत प्रोत गीत सुनाया तो श्रोताओं की आंख ेनम हो गयी।

ओज के कवि डा. रणजीत सिंह ने-जग है एक नाट्यशाला। यह जग जीवन का अंगना है। जग में कोई नहीं पराया, ना ही कोई अपना है।। मानस मराल डा. आरपी ओझा ने-राष्ट्र की भक्ति को तोलना चाहिये। देह की शक्ति को तोलना चाहिये गर कोई राष्ट्र की अस्मिता को छुए। खून है तो उसे खौलना चाहिये कविता से राष्ट्र ऊर्जा प्रवाहित की। कविता से श्रोतागण को भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम में अखिलानन्द पांडेय, सूर्यभान उपाध्याय, फूलचन्द्र भारती, बेहोश जौनपुरी आदि ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकांे को बांधे रखा।

उक्त अवसर पर दयासागर राय, राजेन्द्र सिंह, दयाशंकर सिंह, ओमप्रकाश दूबे एडवोकेट, डा. भारतेन्दु मिश्र, रामदयाल द्विवेदी, लोकेश यादव, पं. गौरीशंकर मिश्र आदि ने डा. क्षेम को श्रद्धांजलि दी। संचालन सभाजीत द्विवेदी प्रखर तथा आभार ज्ञापन डा. पीपी दूबे ने किया।
