आज नशे की गिरफ्त में हैं युवा _डॉ अंजना सिंह

अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस पर विशेष

जौनपुर – नशा हमारे समाज के लिए एक बहुत ही गंभीर समस्या बन चुका है!पहले हमारे समाज में नशे को बुराइयों का प्रतीक माना जाता था, लेकिन आजकल नशा करना फैशन बनता जा रहा है! आज नशे के कारण युवाओं का जीवन बर्बाद हो रहा है !अगर किसी भी व्यक्ति को एक बार नशे की लत लग गई तो व्यक्ति उसे चाह कर भी छोड़ नहीं पाता है ! अमीर हो चाहे गरीब बच्चे हो चाहे बुजुर्ग सभी इस नशे के शिकार हो रहे हैं। नशा भी कई तरीके का होता है जैसे शराब ,भांग बियर, अफीम, बीड़ी ,सिगरेट ,ड्रग्स इत्यादि ।आज एक सर्वे के अनुसार भारत में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लगभग 37% लोग नशे का सेवन करते हैं ,और इनमें ऐसे लोग भी शामिल है जिनके घरों में दो जून की रोटी, कपड़ा और मकान की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है । इन लोगों को अपने परिवार की चिंता नहीं है ,कि उनके बच्चे भूख से तड़प रहे हैं ऐसे लोगों की भी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । नशा किसी भी प्रकार का हो वह व्यक्तित्व के विनाश और निर्धनता की वृद्धि और समय से पहले मृत्यु का कारण बनता है। आज हमारा भारत युवाओं का देश माना जाता है,हमारे देश का उज्जवल भविष्य युवाओं पर टिका है ,लेकिन अगर युवा पीढ़ी ही गलत रास्ते पर जाने लगे तो निश्चित ही उसका भविष्य अंधकार में चला जाएगा। आज हमारे देश का युवा वर्ग जिंदगी के हर पहलू को जीने की इच्छा रखता है ,आज का युवा नशे को अपनी शान समझता है।हालांकि नशे का प्रचलन केवल आधुनिक समाज की ही देन नहीं है बल्कि प्राचीन काल में भी इसका सेवन होता था। महाभारत, रामायण काल में भी मदिरा सेवन के वर्णन मिलते हैं, लेकिन वहां भी इसे एक बुरी वस्तु के रूप में ही चित्रित किया गया है। मदिरा का सेवन आसुरी प्रवृत्ति के लोग करते थे, और इससे समाज में उस समय भी असुरक्षा और घृणा का वातावरण ही उत्पन्न होता था ।आज का युवा शराब और हीरोइन जैसे मादक पदार्थों का नशा ही नहीं बल्कि नशे के रूप में कुछ दवाओं का भी इस्तेमाल कर रहा है। हम सभी जानते हैं कि धूम्रपान या अन्य नशा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, इससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी होती है । यह चेतावनी सभी मादक उत्पादों पर अनिवार्य रूप से लिखी रहती है, फिर भी लोग इसका सेवन बड़े ही चाव से कर रहे हैं ।इंसान इसका आरंभ धीरे-धीरे करता है पर कुछ दिनों बाद वह इसका आदी हो जाता है। आज सबसे खराब स्थिति उन बच्चों की है जो “बालिग” नहीं है, ऐसे बच्चे मां-बाप के रोजमर्रा के वादविवाद,कलह झंझट का उनके अंतर मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है और वे डिप्रेशन में जाकर नशे की लत में पड़ जाते हैं ।आज “नशा” युवा पीढ़ी के लिए सबसे खतरनाक चीज है ! देश में नशाखोरी में युवा वर्ग सर्वाधिक शामिल है। मनोचिकित्सकों का भी कहना है कि युवाओं में आज बढ़ते नशे के चलन के पीछे बदलती जीवन शैली, एकाकी जीवन, बेरोजगारी और आपसी कलह जैसे अनेक कारण हो सकते हैं! आज देश में करीब 21.4% लोग शराब के नशे के शिकार हैं 0.7% लोग अफीम और 3.6% लोग प्रतिबंधित ड्रग्स लेते हैं 0.1% लोग इंजेक्शन के जरिए जानलेवा ड्रग्स के शिकार हो रहे हैं ।आज आंकड़ों से पता चलता है, कि देश में 10 करोड लोग नशे की गिरफ्त में है ,जिनमें अधिकतर युवा है ।यह बहुत ही चिंतनीय विषय है। देश में हर वर्ष 25,00 से लेकर 3,000 युवा नशे की लत के कारण मौत का शिकार हो रहे हैं ।आज नशा तस्करी के हर प्रकार के क्राइम में वृद्धि हो रही है ।युवा वर्ग के लिए के लिए नशा फैशन , मस्ती और आवश्यकता बन गया है । आज युवाओं में नशे की लत किसी भयानक बीमारी से कम नहीं है,नशे की लत में कार्य करने की क्षमता खत्म हो जाती है, दिमाग सही तरीके से कार्य करना बंद कर देता है ।नशा एक ऐसी बुराई है जो हमारे समूल जीवन को नष्ट कर देती है ।नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति परिवार के साथ समाज पर भी बोझ बन जाता है। समाज में ऐसे व्यक्ति को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता है और उसकी सामाजिक क्रियाशीलता शून्य हो जाती है ।नशे के सेवन से जन और धन दोनों की हानि होती है ।आज देश में हर रोज लगभग 5500 युवा तंबाकू जैसे उत्पादों के सेवन करने वालों की श्रेणी में जुड़ रहे हैं ।भारत में 12 करोड लोग धूम्रपान करते हैं । जिनमें 20% महिलाएं भी शामिल हैं । आज बहुत ही दयनीय स्थिति है हमारे समाज के लिए। मैं यही कहना चाहती हूं, कि हमारे देश के युवाओं का भविष्य उज्जवल बनाने के लिए उन्हें नशे के जाल से बाहर निकालना होगा । नशे से बचाव के लिए सबसे जरूरी है कि युवा अपने आप को तनाव से दूर रखें और शरीर की ऊर्जा को सकारात्मक कार्यों में इस्तेमाल करें जैसे_ खेल ,शिक्षा इसका बेहतर विकल्प हो सकता है !घर में माता-पिता भी इस बात का ध्यान रखें कि घर का माहौल और बच्चों की संगत अच्छी हो, जो बच्चा अच्छी संगत और अच्छे संस्कारों के साथ जीवन जीता है उसे नशा छू भी नहीं सकता है! माता-पिता को बच्चों से खुलकर बात करनी चाहिए और उन्हें बच्चों को अच्छे बुरे का सही आकलन सीखना चाहिए !आज देश और समाज को नशा मुक्त बनाने के लिए हम सबको आगे आने की जरूरत है! देश में नशाखोरी की समस्या से निपटने के लिए बहुत से प्रयास किया जा रहे हैं, लेकिन इतने से ही हमें आत्मा संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए । हम सभी को युवाओं को मादक पदार्थों के सेवन से रोकने और उन्हें बचाने के लिए अधिक से अधिक प्रेरित करने की आवश्यकता है, मुख्य रूप से बड़े शहरों और क्षेत्रों में मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए संवेदनशील और प्रभावी निगरानी तंत्र तैनात करना चाहिए। समाज के हर वर्ग के लोगों को आगे आकर मादक पदार्थों और इनके आपूर्तिकर्ताओं का बहिष्कार करना चाहिए । मादक पदार्थों के उपयोग के खिलाफ लड़ाई में मजबूत पारिवारिक तंत्र शक्तिशाली अस्त्र साबित हो सकता है। इसी तरह हमें मादक पदार्थों के सेवन और उसके दुष्परिणामों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए व्यापक डिजिटल सामग्री का भी विकास करना चाहिए। हम पाठ्यपुस्तकों और फिल्मों के माध्यम से भी युवाओं और वयस्कों को नशीले पदार्थों के जाल में पडने के विरुद्ध जागरुक कर सकते हैं । नशा_ निषेध केवल तभी सार्थक हो सकता है, जब एक जागरूक समाज के नागरिक के रूप में हम सब एक साथ मिलकर इस बुराई के विरुद्ध सामूहिक प्रयास करें ।आज हमें एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करना है, तो ज्यादातर युवाओं को जागरूक करना होगा ।”नशा मुक्ति” के लिए जरूरी यह है कि हम स्वयं इसके प्रति जागरूक बने तथा इसे अपनी जिम्मेदारी समझकर अपने तथा अपने समाज के हित के लिए सभी लोगों को इस समस्या से मुक्त कराएं।

“रोकनी होगी नशे की आदत,
सबको आगे हैं आना,
नशा है एक बहुत बुरी लत,
हमें नशा मुक्त भारत है बनाना”!!

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