
बदलापुर, जौनपुर। परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज की भविष्यवाणियों की याद दिलाते हुए उनके उत्तराधिकारी संत पंकज जी महाराज ने कहा कि आज जो परिवर्तन हमें दिखाई दे रहे हैं, ये वही हैं जिनकी भविष्यवाणी सन् 1960-70 के दशक में की गई थी। ‘इन सबके पीछे हमारे असंयमित और गंदे खान-पान की बड़ी भूमिका है।’ संत पंकज जी महाराज सोमवार को 122 दिवसीय जनजागरण यात्रा के 110वें दिन बदलापुर में भक्तों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि भाई-बहनों! चार खानों की 84 लाख योनियां भोगने के बाद यह दुर्लभ मानव जीवन मिला है। अब इसे व्यर्थ मत खोइए, हर क्षण प्रभु का स्मरण करिए। यह शरीर नाशवान है, माया की छाया है जो क्षणभंगुर है। उन्होंने कहा कि गृहस्थ आश्रम में रहते हुए भी मनुष्य को दिन में कम से कम एक से दो घंटे प्रभु का भजन अवश्य करना चाहिए। यही भजन जीवात्मा को नर्क और चौरासी की सजा से बचाएगा। उन्होंने बताया कि भजन का अर्थ गाना-बजाना नहीं, बल्कि प्रभु की देववाणी अनहदवाणी को सुनना है। इसके लिए तीन क्रियाएं आवश्यक हैं सुमिरन (प्रभु के सच्चे नाम का स्मरण), ध्यान (अंतर दृष्टि को एकाग्र करना) और भजन (दैवी स्वर सुनकर उनमें लय होना)। इसी को सुरत-शब्द योग या नाम योग कहते हैं जो कलयुग में सबसे सरल साधना है।
महाराज ने कहा कि नवयुवक हमारी पूंजी और देश की धरोहर हैं। इन्हें शाकाहारी, सदाचारी और चरित्रवान बनाना हमारा दायित्व है। जैसा अन्न वैसा मन—यह कहावत सदा सत्य रही है। मांसाहार और नशे जैसे बुद्धिनाशक पदार्थों से ही मनुष्य में विवेक का ह्रास होता है और समाज में विकृतियां फैलती हैं। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं को आगामी 28 नवम्बर से 2 दिसम्बर तक जयगुरुदेव आश्रम मथुरा में आयोजित पूज्यपाद दादा गुरु जी महाराज के 77वें पावन भंडारे में सम्मिलित होने का आमंत्रण भी दिया।
कार्यक्रम में ऋषिदेव श्रीवास्तव, राम अकबाल प्रजापति, राम आसरे प्रजापति, राम मिलन वर्मा, धनबाद से महेन्द्र राजभर, मगन रजक, राम स्वरूप यादव, अजय, रती लाल मुर्मू सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे। शांति व्यवस्था में स्थानीय पुलिस प्रशासन का सराहनीय सहयोग रहा। जनजागरण यात्रा अगले पड़ाव ग्राम तिघरा, ब्लॉक खुटहन के लिए रवाना हुई।
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