

जौनपुर—– जिला एव सत्र न्यायाधीश वाणी रंजन अग्रवाल की अदालत ने 39 साल पहले गिरफ्तारी के विरोध में हमला कर थानाध्यक्ष सुरेरी की हत्या करने के 09 आरोपियों को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास के साथ ही 10 हजार रुपये का आर्थिक दंड भी दिया है।
अभियोजन के अनुसार, उप निरीक्षक बब्बन सिंह ने सुरेरी थाने में अभियोग दर्ज कराया था कि 18 दिसंबर 1985 को वह थानाध्यक्ष सुरेरी अमरनाथ भारती, उप निरीक्षक साहब लाल राय, कांस्टेबल हरिकेश व झुल्लन प्रसाद के साथ सुरेरी के पुरवा मोदक गांव में सुबह पहुंचे। बता दे की अभियुक्त बलिराम उर्फ बल्लर सिंह को जमीन पर अवैध कब्जा करने के आरोप में गिरफ्तार कर जब वे थाने की ओर लौट रहे थे, तभी सुख नंदन के खेत के समीप गांव के शोभनाथ, ओमप्रकाश, जयप्रकाश, उत्तम, श्रीराम, नान्हक, सुखऊ, दुखंदर, मानिकचंद, चानिका, मोहन, रज्जब, नबीउल्ला, जल्ला और 50 अज्ञात लोगों ने कट्टा, बल्लम, लाठी, डंडा, ईंट और पत्थर से पुलिस टीम पर धावा बोल दिया।
आरोप लगा था की शोभनाथ ने थानाध्यक्ष अमरनाथ भारती को पीछे से बल्लम से मारा, जिससे वे गिर पड़े, इसके बाद बलिराम उर्फ बल्लर ने उनके सीने पर चढ़कर ईंट से कुच-कुच कर उनकी हत्या कर दी। हमले में पुलिस टीम पर फायरिंग भी की गई, जिसमें बब्बन सिंह, झुल्लन प्रसाद और हरिकेश घायल हो गए। बलिराम ने थानाध्यक्ष की पिस्टल व कारतूस भी छीन लिए। इस वारदात में सुखनंदन की जान चली गई थी।
26 अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। जिला शासकीय अधिवक्ता सतीश कुमार पाण्डेय द्वारा परीक्षित गवाहों के बयान और पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के परिशीलन के पश्चात अदालत ने अभियुक्त मानिकचंद, जयप्रकाश, ओमप्रकाश, उत्तम, श्री राम, मोहन, नबीउल्ला, रज्जब और लल्ला को भा0 दं0 संहिता की धारा 302/149 के अंतर्गत आजीवन कारावास और 10 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया।
मुकदमे की सुनवाई के दौरान सुखऊ, दुखंदर और हीरालाल की मृत्यु हो जाने से उनके खिलाफ मुकदमा अबेट कर दिया गया। शेष आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में दोष मुक्त कर दिया गया।