
जौनपुर। विद्युत विभाग जौनपुर के खण्ड—3 में जो कुछ हो रहा है, वह कहीं न कहीं से किसी न किसी प्रकार से संविदा कर्मचारियों को परेशान करना विभाग के अधीक्षण अभियंता की योजनानुसार किया कराया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो विद्युत वितरण खण्ड—3 पर बड़े से बड़ा खेला कर दिया जाता है। बताते चलें कि विभाग के 10 एमबीए ट्रांसफार्मर प्रथम 3 नवम्बर 2022 और 4 नवम्बर 2022 को द्वितीय 10 एमबीए ट्रांसफार्मर पैनल बदला गया था परन्तु उसका कहीं न टेण्डर निकाला गया और न ही किसी को सूचित किया गया था लेकिन कागजी कोरम पूरे किये गये कि 10 एमबीए ट्रांसफार्मर पैनल के बसबार बदला गया था। यदि बदला गया तो किसके द्वारा और किसके हस्ताक्षर से? यदि बसबार बदला गया तो वह कहां गया, यह जांच का विषय बनता है। इतना ही नहीं, यहां तो कम्प्यूटर ऑपरेटरों को भी कई महीनों से तनख्वाह नहीं मिल रहा है। यह भी खेला तो कुछ भी नहीं साहब। अधीक्षण अभियंता का रसुक इतना है कि निविदा/ पैरोल पर काम करने वाले लाइनमैन की उपस्थिति का फॉर्मेट भरकर अवर अभियंता एवं अधिशासी अभियंता के हस्ताक्षर मोहर करके जाने के बाद भी उन कर्मचारियों को अनुपस्थित कर उनकी तनख्वाह का खेल कर दिया जा रहा है। आखिर ऐसा घृणित कार्य कौन और क्यों कर रहा है? किसके आदेश पर उपस्थिति को अनुपस्थिति में परिवर्तित कर रहा है, यह भी जांच का विषय बना हुआ है। इसके चलते लाइनमैन शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित एवं प्रभावित हो रहे हैं। निविदा के कुल 13 लाइनमैन के साथ भी वही खेल जो संविदाकर्मियों के साथ हो रहा है, उनमें से लाइनमैन सतीश, विजय सिंह, बलराम गौड़, दीपक उपाध्याय, अजरूद्दीन खान, सत्यम, प्रभात, सुजीत कुमार, अंकुश गौड़, श्रीकांत यादव आदि हैं जो बिना मानदेय मिले काम कर रहे हैं। क्या कल इन्हीं लाइनमैनों को धरना—प्रदर्शन के लिए अधिकारियों के कारण बाध्य होना पड़ेगा? क्या सरकार की मंशानुरूप कार्य कर रहे विद्युत विभाग जौनपुर के अधिकारी? क्या काम कराना और उनका पारिश्रमिक न देना देश के संविधान में है? क्या गरीबों, मजदूरों और मजलूमों को हताहत करना उन्हें परेशान करना उचित है? क्या सरकार की जिम्मेदारी नहीं कि इस पर जांच बैठाये और जो गलत पाया जाय, उसके विरुद्ध कार्यवाही निश्चित हो?