

सपा विचारधारा से जुडे डाॅ0 आशाराम के सेवाकाल की कुण्डली खंगालने के बाद तय होगा कौन है भ्रष्टाचारी-?
जौनपुर -यूपी की सपा सरकार मे माध्यमिक शिक्षा चयन आयोग के पूर्व चेयरमैन एवं अधीनस्थ चयन आयोग के पूर्व सदस्य डाॅ0 आशा राम यादव के एक बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर शहर विधायक एवं प्रदेश भाजपा सरकार के कद्दावर मंत्री स्वतंत्र प्रभार गिरीश चन्द यादव को लेकर वायरल किया जा रहा है। जिसका सच से दूर-दूर तक कोई सरोकार नहीं है। मीडिया की लिबास मे छिपे कतिपय लोग जो मंत्री से निहित स्वार्थ सिद्धि नही हल हो पाने की स्थिति में मंत्री गिरीश चंद्र यादव की बढ़ती छवि धूमिल करने की नीयत से इस तरह के प्रायोजित वीडियो वायरल करना अब उनकी फितरत बन चुकी है। पत्रकार समाज का दर्पण होता है लेकिन ऐसे में पत्रकारिता का चोला ओढे कतिपय पत्रकारों की करतूत से ऐसे लोगो पर जनपद के प्रबुद्धजनो ने उंगलियां उठानी शुरू कर दी है । यहां बताते चले कि डा0 आशाराम का अपने पड़ोस के कुछ लोगो से अच्छे रिस्ते नही है, उसी में एक नाम मुन्ना यादव का है जिनसे निहित कारणो से डा0आशाराम से रंजिश है,जिन्होने एक षड्यंत्र के तहत अपने पड़ोसी की जमीन से रास्ता सड़क चाहते है। पड़ोसी रंजिश के चलते वे लोग अपनी जमीन से रास्ता नहीं देना चाहते है। खबर है की आशाराम अपने पड़ोसी मुन्ना को परेशान करने के लिए न्यायालय में दफा- 24 किए थे,जिसको लेकर 17 जून 24 को पैमाइश हुई।

इसी मुद्दे को लेकर आशाराम प्रदेश सरकार के मंत्री और जौनपुर शहर के विधायक पर अनाप – सनाप आरोप जड़ दिए जबकि सच यह है कि मंत्री को वीआईपी होने के कारण जिले के तमाम लोगो के यहा शुभ अवसरो/ मांगलिक कार्यक्रम पर आमंत्रित कर के बुलाते और मंत्री पहुंचते भी है। उसी के तहत धर्मापुर विकासखंड के पिन्ड्रा ग्राम सभा के फौजदार यादव जो आशाराम के विपक्षी है ने अपने घर एक शादी के निमंत्रण में मंत्री को आमंत्रित किया बेटी की शादी में मंत्री गये तो डा0आशाराम को नागवार लगा और मंत्री के खिलाफ बयान देने को व्याकुल हो गए और उसमें घी डालने का काम मंत्री के विरोधी पत्रकारिता की लिबास में छिपे कतिपय पत्रकारो ने किया, जिसका सच से कोई सरोकार नहीं है। आशाराम यादव प्रदेश सरकार के मंत्री गिरीश यादव को मुन्ना का रिस्तेदार बता रहे है तो यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि कौन सा रिस्ता गिरीश और मुन्ना यादव के परिवार में है।
इस समय रहते यदि प्रदेश की योगी सरकार, सपा सरकार मे माध्यमिक शिक्षा चयन आयोग के अध्यक्ष व अधीनस्थ चयन आयोग के सदस्य रहे डॉ0 आसाराम यादव के कार्यकाल की जांच किसी निष्पक्ष जांच एजेंसी से कराते तो असल भ्रष्टाचारी क कौन है यह जन सम्मान में प्रस्तुत हो जाता है।
यदि आशाराम को चेयरमैन बनने के पूर्व की आर्थिक स्थित और चेयरमैन बनने के बाद की आर्थिक स्थित की किसी उच्च स्तरीय एजेन्सी से जांच करा दी जाए तो इनके भ्रष्टाचार के सच की पोल खुल जायेगी। पिण्ड्रा गांव के लोग बताते है कि आयोग का चेयरमैन बनने से पहले इनकी आर्थिक स्थित बहुत खराब एवं दयनीय थी लेकिन चेयरमैन बनने के बाद इन्होने बड़ी सम्पत्ती अर्जित कर लिया है। सरकारी सेवा नियमावली में आर्थिक भ्रष्टाचार तो सबसे बड़ा माना जाता है। यहां पर एक ग्रामीण मुहवरा चरितार्थ होता नजर आ रहा है कि “दायी जानें आपना नाई” यानी जो जैसा होता है वह दूसरे को उसी तरह देखता है। तो आशाराम एक चर्चित चेयरमैन थे और अब मंत्री पर वही आरोप जड़ रहे है।
पिन्ड्रा गांव के लगभग आधा दर्जन ग्रामीण जनों से बात करने पर लगभग सभी ने आशाराम के भ्रष्टाचार की कहांनी बयां की और उच्च स्तरीय जांच की मांग उठाई है। ग्रामीण जन बताते है कि अपने भ्रष्ट कारनामों के कारण इनको सरकार ने फिर इस पद पर आसीन ही नहीं किया। जबकि गिरीश चन्द यादव को सदर विधान सभा की जनता ने दूसरी बार विधायक बनाया और सरकार में मंत्री पद मिला जो स्पष्ट रूप से संकेत दे रही है कि आशाराम पूर्वा ग्रह से प्रेरित लोगो के प्रायोजित जाल में फंस कर ऐसा बयान जारी कर दिये जिसका सच से कोई सरोकार ही नहीं है। फिलहाल आरोपो- प्रत्यारोपो की सही स्थिति तो सरकारी तंत्र के जिम्मेदार जांच एजेंसी के जांच के बाद ही पता चल पाएगा की असल में भ्रष्टाचारी कौन है?यहा एक कहावत भी चरितार्थ हो रही है की प्रश्नवाचक एक अंगुली जब उठाते हैं किसी पर ,बाकी चार उंगलियां खुद ही प्रश्न कर्ता की तरफ ही ईशारे कर रही होती है।