विश्व हृदय दिवस की पूर्व संध्या(27 सितंबर)पर संगोष्ठी

जौनपुर – पूरी दुनिया हृदय रोगों से होने वाली मौतों से चिंतित एवं खौफजदा है। लगभग 75 लाख लोगों की मौत ‘उनसे उत्पन्न जटिलताओं की वजह से होती है, अचानक होने वाली मौतों में दुर्घटना के बाद सबसे अधिक हार्टअटैक से होती है। अनुमान है, कि हम समय से चेते नहीं तो हिन्दुस्तान हृदयरोगीयों का गढ़ बन जायेगा।पश्चिमी एवम् विकसित देशों में जागरूकता एवं सतर्कता से आज ह्रदयरोगीयों की संख्या में कमी आयी है। सत्तर एवं अस्सी के दशक में हृदयाघात पश्चिमी देशो एवम् अमीरो का रोग माना जाता क्योकि मोटापा, मधुमेह, उच्चरक्तचाप ,धुम्रपान, निष्क्रिय जीवन शैली बड़े लोगो एवम अमीरों मे मुख्यता होता था। तथा ये सारे लक्षण-स्टेटस सिम्बल की तरह माना जाता था ,परंतु बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था एवम् औद्योगीकरण एवम् प्रतिस्पर्धा मेंइन चारो दिल के दुश्मनों को समाज के कोने- कोने तक पहुचा दिया है। हर नौवा व्यक्ति उच्चरक्त चाप से पीडित है, हर सातवा व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित है, धुम्रपान एवम् जीवन शैली लगभग हर चौथे व्यक्ति में असामान्य है।हिन्दुस्तान में लगातार मधुमेह, उच्चरक्तचाप मोटापा बढ़ है रहा है, धूम्रपान नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है। हृदयाघात की घटनाएं प्रतिदिन किसी न किसी परिवार को विपन्नता की स्थिति में पहुँचा रहे हैं। पुरुषों से महिलाओं की तरफ शहर से गांव की तरफ एवं अमीरों से गरीबों की तरफ हृदय घाट महामारी फैल रही है हृदय घाट की घटना में मृत्यु दर 40% है। यदि हम इलाज का खर्चा देखे तो महंगे एवं समय पर इलाज का बोझ 40% से अधिक आबादी इलाज कर पाने की स्थिति में नहीं होते हैं। एंजियोग्राफी, एन्जीयोप्लास्टी, बाईपास,पेसमेकर वाल्व तक पहुंचाना आम नागरिक की हद में नहीं है, परंतु जागरूकता एवं हृदय रोगों के प्रति सतर्कता आपका बहुमूल्य जीवन बचा सकती है आपको महंगे इलाज एवं अपाहिज होने से भी बचा सकती है। आप दिल के दुश्मनों से दूर रहें मोटापा ,उच्च रक्तचाप, मधुमेह, नशा एवं संयमित जीवन शैली को यदि नियंत्रित करते हैं तो आप हृदय घाट के दुष्परिणामों से बच सकते हैं। आज ही संकल्प लें वजन नियंत्रित रखेंगे, रक्तचाप की दवा खाएंगे, मधुमे नियंत्रित करेंगे एवं नशे की प्रवृत्ति से बचेंगे व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करेंगे तथा प्राकृतिक एवं साधारण भोज पदार्थ का सेवन करेंगे ।आपको जानकर आश्चर्य होगा जो जीव प्रकृति के नजदीक रहते हैं एवं शाकाहार व प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं पर निर्भर रहते हैं उनमें हृदय घाट नहीं होते सूअर, घोड़ा ,गधा ,गाय ,हाथी आदि इन सब जानवरों को हृदयाघात नहीं होते हैं।

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